
गोवा।
गोवा के समुद्र तटों पर सैलानियों को आकर्षित करने वाले शैक्स (Beach Shacks) अब विवाद का केंद्र बनते जा रहे हैं। हर साल की तरह इस वर्ष भी गोवा पर्यटन विभाग द्वारा बीच शैक्स के लिए लॉटरी सिस्टम लागू किया गया, लेकिन इस प्रक्रिया को लेकर इस बार स्थानीय कारोबारियों और युवाओं में भारी नाराज़गी देखी जा रही है।
🎟️ क्या है शैक लॉटरी सिस्टम?
गोवा के प्रमुख समुद्र तटों पर सीमित संख्या में शैक्स (अस्थायी समुद्र किनारे रेस्टोरेंट्स और बार) लगाने की अनुमति दी जाती है। चूंकि आवेदकों की संख्या सीमित स्थानों से कहीं अधिक होती है, इसलिए पर्यटन विभाग लॉटरी के ज़रिए चयन करता है।
इस प्रणाली का उद्देश्य पारदर्शिता और निष्पक्षता है, लेकिन व्यवहार में यह अक्सर विवाद और संघर्ष की वजह बन जाता है।
⚠️ इस साल क्या हुआ?
- लॉटरी प्रक्रिया में कई पुराने शैक मालिकों के नाम बाहर रह गए, जबकि कुछ नए और अप्रशिक्षित आवेदकों को लॉटरी में जगह मिल गई।
- कई स्थानीय व्यवसायियों का आरोप है कि कुछ बाहरी लोगों को राजनीतिक पहुंच या पैसों के बल पर वरीयता दी गई।
- कलंगुट, अंजुना और मापसा क्षेत्रों में इसको लेकर विरोध प्रदर्शन हुए।
🗣️ स्थानीयों का गुस्सा:
अमृत नाइक (स्थानीय शैक संचालक, बागा):
“हम पिछले 12 सालों से शैक चला रहे हैं, और हर साल टूरिस्टों का भरोसा बनाते हैं। लेकिन इस साल लॉटरी में हमारा नाम ही नहीं आया। वहीं, जिन्हें बीच का अनुभव नहीं है, उन्हें लॉटरी में शैक मिल गया। यह व्यवस्था पक्षपातपूर्ण और अपारदर्शी है।”
लिंडा डी’सिल्वा (महिला उद्यमी, कलंगुट):
“हम महिलाओं को भी अपने शैक्स से आत्मनिर्भरता मिलती थी। लेकिन अब बाहर के अमीर लोगों को प्राथमिकता मिल रही है। क्या यही ‘गोवा की पर्यटन नीति’ है?”
🥊 झगड़े और तनाव की घटनाएँ
- कलंगुट में दो गुटों में शैक स्पॉट को लेकर हाथापाई हुई।
- अंजुना में एक विवाद इतना बढ़ गया कि पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा।
- कुछ स्थानों पर शैक को जबरन हटाने की घटनाएँ भी सामने आईं।
🏛️ सरकार की प्रतिक्रिया:
गोवा पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने बताया:
“लॉटरी पूरी तरह डिजिटल और नियमों के अनुसार की गई है। जिन लोगों को शिकायत है, वे उचित दस्तावेज़ों के साथ विभाग में अपील कर सकते हैं।”
लेकिन स्थानीयों का कहना है कि शिकायतें करने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही है, और उन्हें जानबूझकर बाहर रखा जा रहा है।
🔍 मूल मुद्दे:
- लॉटरी प्रणाली में स्थानीय कारोबारियों को प्राथमिकता नहीं दी जा रही
- राजनीतिक हस्तक्षेप और भ्रष्टाचार के आरोप
- अस्थायी रोजगार पर संकट — कई परिवारों की आजीविका इसी पर निर्भर है
- प्रशिक्षण और अनुभव की अनदेखी, सिर्फ नाम के आधार पर चयन
📢 निष्कर्ष:
गोवा का पर्यटन उसके बीच शैक्स की आत्मा से जुड़ा है। अगर यह व्यवस्था विवाद और पक्षपात से ग्रस्त रही, तो इसका असर केवल स्थानीय व्यापार पर नहीं, बल्कि पूरे राज्य की पर्यटन छवि पर पड़ेगा।
“शैक सिर्फ व्यवसाय नहीं, गोवा की सांस्कृतिक पहचान हैं। इन्हें बचाने के लिए लॉटरी से पहले नीति में बदलाव ज़रूरी है।”