
मोरजिम / अंजुना / पालोलेम, गोवा।
गोवा की खूबसूरत समुद्री तटों पर इन दिनों एक नया दृश्य आम होता जा रहा है — पर्यटकों के समूह बीच किनारे चटाइयाँ बिछाकर, स्टोव जलाकर खुले में खाना पकाते नज़र आते हैं। विशेष रूप से केरल से आए पर्यटकों के समूह, भारी संख्या में गोवा पहुँचकर स्वयं खाना बनाते हैं, वो भी बीच पर या सड़क किनारे सार्वजनिक स्थानों पर।
स्थानीय व्यापारी, शैक मालिक और होटल व्यवसायी इस व्यवहार से चिंतित और नाराज़ हैं। उनका कहना है कि यह न केवल गोवा के पर्यटन सौंदर्य को नुकसान पहुँचा रहा है, बल्कि स्थानीय व्यवसायों को भी भारी घाटा हो रहा है।
🔥 क्या है समस्या?
- पर्यटक समूह बीच या पार्किंग में गैस सिलेंडर, कुकर, बर्तन लाकर वहीं खाना बनाते हैं।
- खाना बनाने के बाद कई बार कचरा, प्लास्टिक, बचा हुआ खाना समुद्र तट पर ही छोड़ देते हैं, जिससे पर्यावरण प्रदूषण फैलता है।
- इससे न केवल स्वच्छता प्रभावित होती है, बल्कि अन्य सैलानियों के लिए यह दृश्य अप्रिय और असुरक्षित बन जाता है।
🗣️ स्थानीय व्यवसायियों की नाराज़गी
फ्रांसिस डिसूज़ा (शैक मालिक, मोरजिम):
“हम लाखों रुपये खर्च करके बीच शैक लगाते हैं, टैक्स भरते हैं। लेकिन जब पर्यटक बीच पर खुद खाना बनाते हैं, तो वे हमारे यहाँ खाना नहीं खाते। इससे हमारा व्यापार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।”
नीलिमा पेडनेकर (होटल ऑपरेटर, पालोलेम):
“खुले में खाना पकाना न केवल अवैध है, बल्कि इससे पर्यटकों की सुरक्षा और गोवा की छवि दोनों पर असर पड़ता है।”
📉 व्यवसाय पर असर
- बीच शैक और रेस्टोरेंट की बिक्री में गिरावट
- होटलों में ठहरने की बजाय पर्यटक खुले में रुकते हैं
- कम खर्च करने वाले “ग्रुप टूरिस्ट्स” स्थानीय इकॉनमी में सीमित योगदान देते हैं
🧹 साफ-सफाई और पर्यावरण पर प्रभाव
- समुद्र तटों पर बचे हुए खाने से जानवर और पक्षी आकर्षित होते हैं, जिससे गंदगी और बीमारियाँ फैलने का खतरा रहता है
- प्लास्टिक और कूड़ा समुद्र में बहकर मरीन लाइफ को प्रभावित करता है
- खुले में पकाने से धुएं और बदबू की समस्या होती है, जो अन्य पर्यटकों के अनुभव को बिगाड़ती है
🏛️ प्रशासन की चुप्पी?
स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों की शिकायतों के बावजूद प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
पर्यटन विभाग और पुलिस को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए, क्योंकि यह ना सिर्फ कानून का उल्लंघन है, बल्कि गोवा की सांस्कृतिक छवि और पर्यटन ब्रांडिंग को भी नुकसान पहुंचा रहा है।
📢 समाधान क्या हो?
- सार्वजनिक स्थानों पर खुले में खाना पकाने पर प्रतिबंध लगाया जाए
- बीचों पर निगरानी बढ़ाई जाए
- पर्यटकों को नियमों और जुर्माने की जानकारी दी जाए
- कम लागत वाले पर्यटकों के लिए अधिक संगठित “कम्युनिटी किचन” या सरकारी कैंपिंग ज़ोन विकसित किए जाएं
🚫 निष्कर्ष:
“गोवा कोई पिकनिक ग्राउंड नहीं, बल्कि एक संवेदनशील पर्यटन राज्य है। यहाँ की सफाई, संस्कृति और व्यवसाय सबका सम्मान ज़रूरी है।”
अगर खुले में खाना पकाने जैसी प्रवृत्तियों पर लगाम नहीं लगाई गई, तो गोवा का पर्यटन उद्योग सिर्फ संख्या के आधार पर बढ़ेगा — गुणवत्ता और शिष्टता की कीमत पर।