
गोवा।
गोवा, जिसे एक समय “भारत का मिनी-पेरिस” कहा जाता था, आज पर्यटन की दृष्टि से कठिन दौर से गुजर रहा है। इस मानसून सीज़न में विदेशी ही नहीं, देशी सैलानियों की संख्या में भी भारी गिरावट देखी गई है। होटल मालिकों, बीच शैक ऑपरेटरों और टूर गाइड्स के अनुसार, यह मंदी केवल मौसम का नहीं, बल्कि व्यवस्था की विफलता और बढ़ती लूट का परिणाम है।
🚫 पर्यटन में गिरावट क्यों?
गोवा में पर्यटन हमेशा से एक मज़बूत आर्थिक स्तंभ रहा है। लेकिन इस बार स्थिति काफी चिंताजनक है।
स्थानीय व्यापारियों और पर्यटकों के अनुसार, गिरावट के प्रमुख कारण हैं:
- ट्रांसपोर्ट माफिया का आतंक
टैक्सी यूनियन और प्राइवेट ट्रांसपोर्ट माफिया मिलकर यात्रियों से मनमाने किराए वसूल रहे हैं। एयरपोर्ट से होटल या बीच तक जाने के लिए कई पर्यटकों से 3 से 5 गुना ज़्यादा किराया लिया जा रहा है।
ऐप-बेस्ड टैक्सी सेवाओं (जैसे Ola/Uber) को गोवा में प्रभावी ढंग से काम नहीं करने दिया जा रहा, जिससे पर्यटक विकल्पहीन हो जाते हैं। - खाने-पीने की कीमतें आसमान पर
सामान्य शैक्स और रेस्टोरेंट में भी एक साधारण मील की कीमत ₹500 से ₹1000 तक पहुंच रही है। पीने के पानी की बोतल और नारियल पानी तक के दाम दोगुने हो गए हैं। पर्यटकों को ऐसा महसूस होता है कि वे गोवा नहीं, किसी अंतरराष्ट्रीय टूर पर हैं। - सुविधाओं की कमी, समस्याओं की भरमार
– पार्किंग की सुविधा सीमित
– सार्वजनिक शौचालयों की हालत खराब
– बीचों पर सफाई की कमी
– मानसून में लाइफ गार्ड की सीमित उपस्थिति
🎙️ स्थानीयों की राय:
रॉबर्टो फर्नांडीस (बीच शैक मालिक, अंजुना):
“हमारा धंधा बिल्कुल ठप पड़ गया है। पर्यटक आते हैं लेकिन 2-3 दिन से ज्यादा नहीं रुकते। वे शिकायत करते हैं कि टैक्सी वाले लूट रहे हैं, खाना महंगा है, और सर्विस घटिया।”
पायल शर्मा (पर्यटक, मुंबई से):
“गोवा हमेशा से हमारी पसंद रहा है, लेकिन इस बार जो अनुभव हुआ वह निराशाजनक था। एयरपोर्ट से होटल तक 2800 रुपये किराया, और एक थाली में 1000 रुपये! अगली बार हम शायद केरल या दार्जिलिंग जाएंगे।”
⚠️ सरकार से अपेक्षा:
पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोग मांग कर रहे हैं कि:
- ऐप-बेस्ड टैक्सी सेवाओं को तुरंत अनुमति दी जाए
- खाने-पीने की दरों पर रेगुलेशन लागू किया जाए
- बीचों पर सुरक्षा और सफाई बढ़ाई जाए
- स्थानीय पर्यटन नीति को पारदर्शी और पर्यटक-हितैषी बनाया जाए
📉 परिणाम:
इन समस्याओं के चलते ना केवल पर्यटक हतोत्साहित हो रहे हैं, बल्कि स्थानीय रोजगार पर भी असर पड़ा है। होटल बुकिंग 30% तक गिर चुकी हैं, और रेस्टोरेंट तथा टैक्सी चालकों की आमदनी में भारी कमी आई है।
📢 निष्कर्ष:
गोवा की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर निर्भर है। यदि सरकार और प्रशासन ने जल्द कदम नहीं उठाए, तो यह राज्य अपनी सबसे बड़ी पहचान — “पर्यटकों की पहली पसंद” — खो सकता है।
सवाल ये नहीं है कि गोवा में पर्यटन क्यों कम हो रहा है, सवाल यह है कि क्या इसे बचाने की कोई ईमानदार कोशिश हो रही है?