🌰 दक्षिण गोवा में काजू उत्पादन पर संकट: 50% से ज्यादा गिरावट, किसान परेशान, मौसम को बताया जिम्मेदार

पणजी (गोवा), 11 जुलाई 2025 – एक समय गोवा की शान और अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा माने जाने वाले काजू उद्योग को इस साल जबरदस्त झटका लगा है। दक्षिण गोवा में काजू की पैदावार में 50% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है, जिससे काजू किसान भारी संकट में हैं। इस गिरावट का मुख्य कारण बदलते मौसम, कीट संक्रमण और पारंपरिक खेती की चुनौतियां मानी जा रही हैं।

यह न केवल राज्य के लिए एक आर्थिक चिंता है, बल्कि गोवा की पारंपरिक कृषि संस्कृति और लाखों लोगों की आजीविका पर भी संकट की घंटी है।


🔍 क्या कह रहे हैं किसान और कृषि विशेषज्ञ?

दक्षिण गोवा के केपे, काणकोण, बिचोलिम और सत्तारी तालुकों में काजू की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि इस बार न तो समय पर फूल लगे और न ही फल अच्छे आकार में तैयार हो पाए। मौसम में बार-बार हो रहे बदलाव, जैसे- अचानक गर्मी बढ़ना, समय से पहले बारिश या अचानक ठंड, ने काजू के पेड़ों की नैसर्गिक चक्र को प्रभावित किया।

प्रशांत नाईक (काजू किसान, बिचोलिम) बताते हैं:
“हर साल हम फरवरी से अप्रैल तक फूल आने और पकने की प्रक्रिया देखते थे, लेकिन इस साल मार्च में ही बारिश हो गई, जिससे फूल झड़ गए। उत्पादन आधा ही रह गया है।”


🌦️ जलवायु परिवर्तन का असर साफ दिखा

कृषि विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण:

  • फूलों की मात्रा में 40% तक कमी आई है
  • फल पकने की प्रक्रिया असामान्य रही
  • कीट और फंगस संक्रमण (Anthracnose, Tea Mosquito Bug) बढ़ गए हैं
  • पानी की अनुपलब्धता ने पेड़ों को और कमजोर कर दिया

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि यही रुझान जारी रहा, तो आने वाले वर्षों में उत्पादन और भी कम हो सकता है।


📉 गिरते उत्पादन के आंकड़े

वर्षअनुमानित उत्पादन (टन में)वृद्धि/कमी (%)
20239,800
20248,600-12%
20254,500 (अनुमान)-52%

ये आंकड़े संकेत देते हैं कि काजू उत्पादन का ग्राफ खतरनाक ढंग से नीचे गिर रहा है।


🏭 उद्योग और प्रसंस्करण पर असर

गोवा के काजू उद्योग में हजारों लोग प्रसंस्करण, पैकेजिंग, निर्यात और घरेलू बिक्री में लगे हुए हैं। काजू के बीजों की कमी के चलते कई स्थानीय प्रोसेसिंग यूनिट्स ने काम बंद कर दिया है या उत्पादन घटा दिया है। इससे रोजगार और निर्यात दोनों प्रभावित हो रहे हैं।

एक प्रोसेसर का बयान:
“हमें दक्षिण कर्नाटक और उड़ीसा से कच्चा माल मंगवाना पड़ रहा है, जिससे लागत बढ़ गई है।”


🏛️ सरकारी योजना और राहत पैकेज

राज्य सरकार ने किसानों की स्थिति को गंभीर मानते हुए कुछ राहत योजनाओं की घोषणा की है:

  1. गोवा फॉरेस्ट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (GFDC) द्वारा ₹31 करोड़ की योजना (2025–2029)
    • 1,240 हेक्टेयर क्षेत्र में पुरानी काजू बगानों का नवीनीकरण
    • उन्नत किस्मों के पौधे लगाना
    • ड्रिप सिंचाई और कीट नियंत्रण उपाय
  2. प्रशिक्षण कार्यक्रम
    • किसानों को आधुनिक खेती, जैविक कीटनाशक और रोग प्रतिरोधी किस्मों की जानकारी देना।
  3. काजू के लिए GI टैग की प्रक्रिया तेज
    • गोवा के काजू को Geographical Indication टैग देने का काम तेजी से चल रहा है। इससे काजू को अंतरराष्ट्रीय बाजार में विशिष्ट पहचान मिलेगी।

📢 किसानों की मांगें और सुझाव

काजू किसानों ने राज्य सरकार और केंद्र से निम्नलिखित मांगें की हैं:

  • कृषि बीमा योजना का विस्तार
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) घोषित करना
  • मौसम आधारित खेती मॉडल लागू करना
  • प्रसंस्करण इकाइयों को सब्सिडी और सहायता
  • सीधी खरीदी व्यवस्था जिससे बिचौलियों को रोका जा सके

🌱 भविष्य की दिशा

अगर राज्य सरकार और कृषि वैज्ञानिक मिलकर जलवायु अनुकूल खेती, रोग प्रबंधन, और तकनीकी सहायता पर बल दें, तो काजू खेती को फिर से पटरी पर लाया जा सकता है। साथ ही, ब्रांडिंग और वैश्विक बाजार में बिक्री के लिए GI टैग जैसे प्रयास गोवा के काजू को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं।


🔚 निष्कर्ष

गोवा की धरती पर पनपने वाला काजू सिर्फ एक फसल नहीं, बल्कि हजारों परिवारों का सहारा है। मौजूदा संकट ने इस परंपरा को चुनौती दी है, लेकिन यदि ठोस और दूरदर्शी कदम लिए जाएं तो यह संकट अवसर में बदला जा सकता है।